Monday, April 04, 2011

La Douleur Exquise-An Addiction



सपनों की एक हसीं तश्तरी, टूटे फूटे कुछ पुराने हो चुके
पलों की दौड़ में थक के जो थे रुके
एक नन्हा पौधा, कोशिश में छूने को आसमान
पत्ते, कपोलों, टहनियों ने जो हवा का कहना मान
मिटटी की वो खुशबू बिखेरते हुए चारों ओर
पानी की वोह लहरें बड़ते सागर के छोर
कुछ धुंधली हो चुकी तस्वीरें, अब हैं ख्वाब जैसी
रास्ते थे मेरे, तो अब शिकायतें कैसी
आँखें बहाती आंसू उन दिल के ग़मों के लिए
गिले शिकवे जो न किसी से किये
समेटा अपने दिल के टुकड़ों को, लपेटा उस रुमाल में
साल बीते हुए लग रहे उलझे सवाल से
आंधी बिखेर गयी मेरे रेतीले आशियाने
असलियत है सामने, मेरे मुकद्दर के बहाने

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