Monday, April 04, 2011

अकेलापन

आंसू की वो एक बूँद समेटे हुए ये पलक
पानी का कतरा हो जायेगा अगर वो गया छलक
ना कोई चाहत मेरी, ना ही वो अपनापन
क्यों किया प्यार जब था इतना परायापन
इंतज़ार था तेरा, था इज़हार भी तेरा
किसी दुसरे को किसने समझा मेरा
वो अकेलेपन की एक अनकही कहानी
बेज़ुबां होंठ, पर आँखों की ज़ुबानी
कलम रुंधी हुई, गीली स्याही से
टुकड़े हुए दिल के, प्रीत परायी से
अनजान राहें, नए रास्तों पे चलते हुए
चुबते कांटे, और सपने आँखों में पलते हुए
सागर की लहरें अपने साथ लाती वो रेत की चादर बिखेर के
बंधन झूठे प्रेम के, ज़ख्म दिल के वो कुरेद के
टूटे रिश्ते, छूटे दोस्त, बदला ज़माना और वो नया दौर
एक नयी दिशा, तोड़ के धुंधली तस्वीरें, खींचे अपनी ओर
  बिखरो जुल्फें, बिखरा वो रेतीला आशियाना
बिखरे सपने, वही पुराना मुक़द्दर का बहाना
गिरते पड़ते कदम, चलते हुए दूर उस मंजिल की ओर
आगे बढ़ रही वो कमज़ोर ज़िन्दगी की डोर
  

La Douleur Exquise-An Addiction



सपनों की एक हसीं तश्तरी, टूटे फूटे कुछ पुराने हो चुके
पलों की दौड़ में थक के जो थे रुके
एक नन्हा पौधा, कोशिश में छूने को आसमान
पत्ते, कपोलों, टहनियों ने जो हवा का कहना मान
मिटटी की वो खुशबू बिखेरते हुए चारों ओर
पानी की वोह लहरें बड़ते सागर के छोर
कुछ धुंधली हो चुकी तस्वीरें, अब हैं ख्वाब जैसी
रास्ते थे मेरे, तो अब शिकायतें कैसी
आँखें बहाती आंसू उन दिल के ग़मों के लिए
गिले शिकवे जो न किसी से किये
समेटा अपने दिल के टुकड़ों को, लपेटा उस रुमाल में
साल बीते हुए लग रहे उलझे सवाल से
आंधी बिखेर गयी मेरे रेतीले आशियाने
असलियत है सामने, मेरे मुकद्दर के बहाने