आंसू की वो एक बूँद समेटे हुए ये पलक
पानी का कतरा हो जायेगा अगर वो गया छलक
ना कोई चाहत मेरी, ना ही वो अपनापन
क्यों किया प्यार जब था इतना परायापन
इंतज़ार था तेरा, था इज़हार भी तेरा
किसी दुसरे को किसने समझा मेरा
वो अकेलेपन की एक अनकही कहानी
वो अकेलेपन की एक अनकही कहानी
बेज़ुबां होंठ, पर आँखों की ज़ुबानी
कलम रुंधी हुई, गीली स्याही से
टुकड़े हुए दिल के, प्रीत परायी से
अनजान राहें, नए रास्तों पे चलते हुए
चुबते कांटे, और सपने आँखों में पलते हुए
सागर की लहरें अपने साथ लाती वो रेत की चादर बिखेर के
बंधन झूठे प्रेम के, ज़ख्म दिल के वो कुरेद के
टूटे रिश्ते, छूटे दोस्त, बदला ज़माना और वो नया दौर
एक नयी दिशा, तोड़ के धुंधली तस्वीरें, खींचे अपनी ओर
बिखरो जुल्फें, बिखरा वो रेतीला आशियाना
बिखरे सपने, वही पुराना मुक़द्दर का बहाना
गिरते पड़ते कदम, चलते हुए दूर उस मंजिल की ओर
आगे बढ़ रही वो कमज़ोर ज़िन्दगी की डोर